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ठीक नै लागै छै / मनीष कुमार गुंज
Kavita Kosh से
बात-बात में झगड़ा ठीक नै लागै छै
टोला-पड़ोस रे सगड़ा ठीक नै लागै छै
पूरनका समाज केॅ देखोॅ, कत्ते अच्छा रीत
सुख-दुख के घड़ी में एकदोसरा केॅ मीत
कूंईयां-इनारा कि मचानी पर गाबै छै गीत।
आयकल के बदियल नाच आरो गाना ठीक नै लागै छै
बात-बात में झगड़ा ठीक नै लागै छै
टोला-पड़ोस रे सगड़ा ठीक नै लागै छै
हे हो खाना खैइहोॅ बाद में,
पहिनें किरिया खा कि मिली-जुली केॅ रहबै
परम्परा के दुखो के मिली-जुली सहबै
अैतै समस्या तेॅ साहब के हकबै
गुम्मा बनी के रहना नीक नै लागै छै।
बात-बात में झगड़ा ठीक नै लागै छै
टोला-पड़ोस रे सगड़ा ठीक नै लागै छै।