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डायरी / सरोज परमार

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प्रसार
दूर-दूर तक
सूनेपन का
रेशे रेशे तक
खालीपन
का
एक बदनसीब डायरी
जिस पर लिखा गया नहीं
बरसों से/
कोरी भी नहीं,अनछुई भी नहीं
छुअन झेली भी नहीं।
कहीं एक पन्ने पर
इबारत अधूरी
पूरी होने के इंतज़ार में।