तहरीरें / पवन कुमार

एक
वादा
तुमसे रोज’
कुछ लिखने का
तुम्हारे बारे में,
अभी भी मुस्तैदी से
निभा रहा हूँ।
मगर
इस बार
तहरीरें काग’जों पर नहीं
दिल के सफ’हों पे
लिख रहा हूँ
...पढ़ सकोगी तुम?

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