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तुम / खुली आँखें खुले डैने / केदारनाथ अग्रवाल

तुम
पूनम के
चंद्रोदय हो
मैंने
तुम पर
तन-मन वारा
जब
आँखों ने
तुम्हें निहारा

रचनाकाल: २१-०८-१९९१