Last modified on 23 जून 2010, at 11:34

तुम्हारा आना / सुशीला पुरी

जब तुम लौटोगे
तुम्हारा लौटना
लाएगा रंगों में और सुर्खी
और वैविध्य
इन्द्रधनुष की तरह

तुम्हारे लौटने से
कोहरे को चीरकर
धरती से
बाँह- भर भेंटेगी धूप

तुम्हारा लौटना
जीने की भूख बढ़ा देगा
तमाम तरलताओं से अकुंठ -
तुम्हारा आना
भर देगा स्वाद जीवन में

तुम्हारी पदचाप से
थम जायेगा
अनर्गल कोलाहल तन का
और चुप्पियों के बीच
जन्मेंगे अनंत गीत ।