भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थामी 85 ये 15 राज थारे पै कर रे / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थामी 85 ये 15 राज थारे पै कर रे।
बड़कै बीच म्हं ये भकावैं, काट थारी ए कर रे।...टेक

झूठ बोल कै लेवैं वोट दुनिया इन नै भकाई।
छाती कूट के बोला बंसी मनै दारू बन्द कराई।
सबकै खुशी होई इतणी मेरे हक म्हं आई।
बी.जे.पी. और विकास नै मिलके सरकार बणाई।
बेइमानां का बाज्या जूत दफ्तर म्हं काग पड़ रे...

बिछड़ी सरकार माच गया हल्ला गेरा दूसरा फेरा।
चौटाला भी दां लारा थी बी.जे.पी. नै रुक्के देरा।
बणा सरकार तैं चौटाला हम समर्थन करांगे तेरा।
ले कै शपथ देखी वाल वो खजाना हवा लेरा।
सिर मार कै कर दी भंग ये भूखे लाड़ फिर रे...

बी.जे.पी. और चौटाला कै खुशी इतणी होई थी।
मिलकै इलेक्शन लड़ा दोनों नै जीत उनकी होई थी।
घर की सरकार करी चौटालै नै बूझ उसकी होई थी।
बी.जे.पी. नै पाट्या बेरा वा बड़कै भीतर रोई थी।
बन्सी छोड़ कै करा चौटाला ये दोनूं धोखा कर रे...

तूं विरोधी कर ले तैयारी बख्त तेरा भी आरा।
तूं इस कुर्सी के काबिल नहीं क्यूं देश नै खपारा।
के ओकात पाकिस्तान की वो उग्रवाद करा रा।
के रिस्तेदार सै तेरा तैं किसे दाबे लारा।
दर्द तो उसकै होवै अमरसिंह जिनके लाल मर रे।