भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द जब बेजुबान होता है / अश्वनी शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



दर्द जब बेजुबान होता है
ज़िस्म पूरा बयान होता है।

आदमी किश्त-किश्त जीता है
सब्र का इम्तिहान होता है।

कौन सी हद औ किसके पैमाने
एक सपना जवान होता है।

शख़्स इक हौसले से जीता है
आंख में आसमान होता है।

वक्त है आम खास क्या होगा
सिर्फ एक दास्तान होता है।

जुगनुओं को करीब से देखो
इस चमक में जहान होता है।