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दर्द दिल में सभी छुपा रहती / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दर्द दिल मे सभी छिपा रहती
जैसे धागा लिये शमा रहती
चाहती कुछ भी नहीं बदले में
माँ के होठों पे है दुआ रहती
है बसा लेती अपनी साँसों में
दूर खुशबू से कब हवा रहती
बदलियाँ दूरियाँ बढ़ातीं जब
चाँदनी चाँद से खफ़ा रहती
आग लगने से आशियाँ जलते
कब चिराग़ों की पर खता रहती
बख़्श दी रब ने जब नज़ाकत यूँ
हुस्न के साथ ही अदा रहती
गिरना लाज़िम है यूँ उठा है जो
है बुलंदी नहीं सदा रहती