भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल किसी से तो लगाए रखिए / निवेदिता झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़ीनते इश्क बचाए रखिये
दिल किसी से तो लगाए रखिए

लाख राहों में अँधेरे आएँ
प्यार का दीप जलाए रखिए

घरकी'छत पर हो' परिन्दों की' चहक
दाना'पानी ही' बनाए रखिए

जिस यकीं पर वो' तुम्हारे आया
उस यकीं को भी बनाए रखिए

हो न रुसवा ये' मुहब्बत मेरी
इतना' अहसान बनाए रखिए