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देह / जया जादवानी
Kavita Kosh से
कपड़ा एक नया नकोर
ल्कलफ़ लगा
सफ़ेद
लौटाते हुए सोचती हूँ
काश एक ही धब्बा लगा होता
ज़रा सा मसला गया होता
धुला होता कम से कम
एक बार
पटक-पटक कर
तुम्हारे खाट पर...।