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धीरज रखना भाई नीले आसमान / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के
क्योंकि संकल्प हमारे मनों के
इस समय ज़रा अलग हैं
हम धूलिकणों के बने हुये
रसाल-फलों में
बदल रहे हैं अपने-अपने
छोटे-बड़े सपने
धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के