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धृष्टता / सुधीर सक्सेना

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आज तुम्हारे सीने में नहीं
तुम्हारी हथेली में
धड़का
तुम्हारा दिल
और
अपनी हथेली में दुबकाए
उसे ले आया मैं
अपने साथ ।