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न कोई बताना बहाना पडे़गा / सूर्यपाल सिंह
Kavita Kosh से
न कोई बताना बहाना पडे़गा।
तुम्हें ज़िन्दगी को थहाना पडे़गा।
मिलेगा तुम्हें फूल ही फल न समझो,
तुम्हें कंटकों से निभाना पड़ेगा।
अभी तो सभी घर जले ही पड़े हैं,
तुम्हें इन सभी को बनाना पड़ेगा।
न कोेई दिखे अब सही राह चलते,
तुम्हें नाव खेना चलाना पड़ेगा।
धुआँ जो उठा है कहीं आग होगी,
तुम्हें ही बुझाना जलाना पड़ेगा।