अपनी बालकोनी से
बाहर फैली हरियाली देखता हूँ ।
कभी न कभी
मुझे भी हरियाली का हिस्सा बनना है,
जो
कड़ी धूप में
या बर्फ़ के नीचे
मुरझा जाने के बाद
खिल उठेगा
बार-बार ।
अपनी बालकोनी से
बाहर फैली हरियाली देखता हूँ ।
कभी न कभी
मुझे भी हरियाली का हिस्सा बनना है,
जो
कड़ी धूप में
या बर्फ़ के नीचे
मुरझा जाने के बाद
खिल उठेगा
बार-बार ।