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नन्ही गुड़िया मेरी / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
ओ पीले चन्दा की किरण !
ज़रा धीरे से,
धीरे से उतर,
कहीं जाग नहीं जाए यह नन्ही गुड़िया मेरी
रानी बिटिया मेरी ।
सरकी लो चूनर वह
सलमे-सितारों की,
नींद लगी सपनों के,
हारे कहारों की,
ओ नन्ही परियों की बहन !
कहीं जाग नहीं जाए यह नन्ही गुड़िया मेरी
रानी बिटिया मेरी ।
थमा तभी शोर,
अरे, जग ने चुप्पी साधी,
जल-जल के हुई देख,
सारी बात आधी,
ओ नीले अम्बर की दुल्हन !
ज़रा धीरे से,
धीरे से सँवर,
कहीं जाग नहीं जाए यह नन्ही गुड़िया मेरी
रानी बिटिया मेरी ।