भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नया साल / निर्मल आनन्द

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चमक रहे हैं
हमारे स्वागत में
दिन के नए पन्ने

इन्हीं में लिखनी है हमें
अपनी कहानियाँ
देना है अपना बयान

कि इन्हें बचना है
आग की लपटों से
ख़ून के धब्बों से