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नस-नस बारूद पल रहले हे / जयराम दरवेशपुरी

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कइसन गीत बनइअइ अब हम
सगरो चमका चल रहलइ हे

ऊपर से सब एक नियन हइ
भीतरे छूरा चल रहलइ हे
निमरा के न´ राह मिलऽ हे
ओन्ने मजमा सज रहल हे
असवासन के आड़ में देखऽ
चोर के पिल्ला पल रहलइ हे

अप्पन स्वारथ सिद्ध करइ ले
केतना कुकरम कइले हइ
रस्ता से बे रस्ता होके
अप्पन धरम गंवइले हइ
जन-जन के देहिया चलनी हइ
ई चुनचुन्न खल रहलइ हे

बड़ी दिना से घुरिअइले हे
असली राह बता देबो
दू-दू हाथ करइ ले अइबो
कम्मर कस फरिया लेबो
अब कत्ते दिन चरबइत रहवा
नस-नस बारूद पल रहलइ हे।