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नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है / गुलाब खंडेलवाल

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नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है
हमारी ज़िन्दगी में बस यही एक शाम बाक़ी है

उमड़ आते हैं झट आँसू, कलेजा मुँह को आता है
उसे होँठों पे मत लाओ जो कोई नाम बाक़ी है

नहीं आया ज़वाब उनका तो हम ख़ुशकिस्मती समझे
रहा तो दिल में हरदम, उनसे कोई काम बाक़ी है

तलब आँखों में, चक्कर पाँव में है दिल में बेचैनी
नहीं अब इनसे बढ़कर और कुछ आराम बाक़ी है

गुलाब! आता है क्या तुमको सिवा आँसू बहाने के
यही तो ज़िन्दगी में बस सुबह और शाम बाक़ी है