भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नारियल / प्रणय प्रियंवद
Kavita Kosh से
बहुत कठोर ठोस
और अंदर है जीवन
पानी से भरा पूरा
हिलाया उसने और कान लगाकर देखा
बताया आवाज़ ने कि सूखा नहीं है नारियल
जीवन है उसमें
आसमान भी होगा ही अन्दर
पता नहीं कहां-कहां फूटेगा नारियल
कहां तसल्ली देगा
किसकी गोद भरेगा
किसे वापस लाएगा अस्पताल से
बचायेगा किसकी चूड़ियां
किस-किस का बेड़ा पार लगाएगा
किसे देगा शब्द, किसे देगा पानी
किसे आसमान और जमीन देगा नारियल
राकेट परीक्षण से पूर्व वैज्ञानिकों ने भी
फोड़ा नारियल
बच्चे के सही-सलामत लौट लाने पर
फूटता है मां के अन्दर हर रोज नारियल
और मां
बची है अभी तक संसार में।