Last modified on 8 अगस्त 2019, at 01:21

पतंग उड़ाने से पहले / शहराम सर्मदी

पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
कि इस की असल है क्या और माहियत क्या है

बहुत नहीफ़ सी दो बाँस की खपंचें हैं
और उन से लिपटा मुरब्बे में ना-तवाँ काग़ज़
ये जिस के दम पे हवा में कुलेलें भरती है
ज़रा सी ज़र्ब से वो डोर टूट जाती है

पतंग कट गई तो इस का इतना ग़म क्यूँ है
पतंग उड़ाने से पहले ये जान लेना था
कि इस की असल है क्या और माहियत क्या है