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पर्याय / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
हम एक दूसरे के पर्याय थे
तुम्हारे शहर में बारिश होती थी
तो भीगता मैं था
जब तुम्हें ख़ाँसी उठती थी
मेरे फेफड़े काँपने लगते थे
मैं रोता था तो भर आती थी
तुम्हारी आँखें
हम दोनों की धड़कनें एक साथ
तेज़ होती थी
हमारे गाने की लय एक सी
होती थी
शुरू से हम एक दूसरे से बेतरह
जुड़े हुए थे
देख लेना कि जब तुम्हारी
मृत्यु होगी तो नदी पर मेरा
शव जाएगा