पल भर नहीं छोड़ते प्यारे, पलभर नहीं छोड़ते साथ।
सदा-सदा समीप रहते वे, घुले-मिले प्राणोंमें नाथ॥
देख-देखकर मैं उनका वह पल-पल बढ़ता नूतन रूप।
नित्य-निरन्तर पावन पाती हूँ प्रमोद अति मधुर अनूप॥
पल भर नहीं छोड़ते प्यारे, पलभर नहीं छोड़ते साथ।
सदा-सदा समीप रहते वे, घुले-मिले प्राणोंमें नाथ॥
देख-देखकर मैं उनका वह पल-पल बढ़ता नूतन रूप।
नित्य-निरन्तर पावन पाती हूँ प्रमोद अति मधुर अनूप॥