भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पांखी / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
लूखौ सूकौ
जिकौ भी
मिलज्यै
खा ल्यै ।
का'ल री
कोई चिन्त्या नीं
का'ल री का'ल देखै
अर
उड ज्यै
पांख्यां फैलाय'र
खुलै असमान में
भळै
आपरां री आवै ओळ्यूं
तद
सूरज छिपण सूं
पै'लांईं आ ज्यै
आपरै आ'लणै
आपरां रै बीच
बातां सारू ।