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पाडो / रूपसिंह राजपुरी
Kavita Kosh से
पक्को राग गाण लागयो,
कब्बाल जी बाडो।
खूब लम्बी हेक काडी,
जोर लगायो डाडो।
रामूड़ै गी दादी,
बोली, बस कर लाडी।
काल ईंयां ई अरड़ायो हो,
अर मर गयो म्हारो पाडो।