भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पाती किशन चन्द की आई / ईसुरी
Kavita Kosh से
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
पाती किशन चन्द की आई,
छाती से चिपकाई।
हातन-हात लै गोपिन नैं,
राधा जुबै गुवाई।
परी देय में फिर से स्वाँसा,
मरी खाल जी आई।
अब हम पै भगवत भए सूदे।
ऊधौ जू की ल्याई।
समाचार लिख दये ईसुरी,
सबने बाँच सुनाई।