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पानी के बताशे / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
गप्प-गप्प
हमने भी खाए
पानी के बताशे ।
गोल-गोल
कुरकुरे-चटपटे,
आलू-कचालू में
लटपटे,
जो न खाए,
पछताए ।
पानी के बताशे ।
जीभ कर रही थी
टूँ-टूँ बड़ी,
सी-सी करते रहे
घड़ी-घड़ी,
चटखोरे हम भी
कहलाए ।
पानी के बताशे ।
पेट में गया जब
मिर्ची-पानी,
याद आ गई सच
हमको नानी,
आँखों में
आँसू भर आए ।
पानी के बताशे ।