Last modified on 19 अप्रैल 2011, at 00:57

पिता / निर्मल आनन्द

पिता
तुम्हें संधि स्वीकार नहीं
तुम्हारा युद्ध कब समाप्त होगा

तुम्हारे झोले से
निकाल लिया है
किसी ने
अमन की पुड़िया को

मैं जानता हूँ
अकबर-राणाँ जैसा
नहीं होगा तुम्हारा इतिहास
क्योंकि
वे राज्य जीतते थे
तुम रोटी जीतते हो ।