प्यार किस तरह उनको समझायें!
दिल को हम चीरकर भी दिखलायें!
बस कि परदे से लगके बैठे हैं
कभी दम भर तो सामने आयें
वे भी बेचैन हों हमारे लिए
और हम इसको देख भी पायें
है कोई इंतज़ार में हरदम
हम लिपटने की ताब तो लायें
अब तो दुनिया से जा रहे हैं गुलाब
जिनको मिलना हो आके मिल जायें