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प्यारी प्राची / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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इतनी जल्दी क्या है बिटिया,
सिर पर पल्लू लाने की ।
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,
समय बिताने की ।।

मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,
मन ही मन हर्षाते हैं ।
जब वो नन्ही-सी बेटी की,
छवि आखों में पाते हैं ।।

जब आएगा समय सुहाना,
देंगे हम उपहार तुम्हें ।
तन मन धन से सब सौगातें,
देंगे बारम्बार तुम्हें ।।

दादी-बाबा की प्यारी,
तुम सबकी राजदुलारी हो ।
घर आँगन की बगिया की,
तुम मनमोहक फुलवारी हो ।।

सबकी आँखों में बसती हो,
इस घर की तुम दुनिया हो ।
प्राची तुम हो बड़ी सलोनी,
इक प्यारी सी मुनिया हो ।।