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प्रियतम-भामिनि, मधुमय जामिनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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प्रियतम-भामिनि, मधुमय जामिनि, बिहरत जमुना-तीर।
अलिकुल गुंजत, कोकिल कूजत, मलयज बहत समीर॥

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सखी-सहचरी मृदुल मंजरी, गावत बाद्य सुतान॥
गोपी-चातकिगन निरखत घन-स्याम अतुल आनंद।
चतुर चकोरी निरखत गोरी रंग चाँदनी चंद॥
स्रम-जल-बिंदु सुरूप-सिंधु दो‌ऊ नील-पीत रुचि रंग।
रसनिधि अमित अगाध तरंगित बिबिध विचित्र तरंग॥