प्रेम
भूख भी है...आग भी
पकने, तपने और स्वाद के बीच
कहीं न कहीं
बटुली में
खदबदाती रहती है
एक चुटकी चुप
और ढेर सारी भाप...!
प्रेम
भूख भी है...आग भी
पकने, तपने और स्वाद के बीच
कहीं न कहीं
बटुली में
खदबदाती रहती है
एक चुटकी चुप
और ढेर सारी भाप...!