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प्रेम / कमला दास
Kavita Kosh से
जब तक नहीं मिले थे तुम
मैने कविताएँ लिखीं, चित्र बनाए
घूमने गई दोस्तों के साथ
अब
जबकि प्यार करती हूँ मैं तुम्हें
बूढ़ी कुतिया की तरह गुड़ी-मुड़ी-सी पड़ी है
तुम्हारे भीतर मेरी ज़िन्दगी
शान्त…