भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम करना / नाज़िम हिक़मत / शुचि मिश्रा
Kavita Kosh से
जैसे नमक के साथ रोटी खाना
ठीक ऐसा ही है तुम्हें प्रेम करना
ज्वर में जागना
और चेहरे पर मारना पानी की धार
ऐसा पार्सल
जिसपर नाम हो न पता
चौकन्ना होकर खोलना उत्सुकता से
जैसे
समुद्र पर उड़ना
पहली बार
अपने शहर
इस्तामबुल पर साँझ गहराना
शनैः शनैः
तुम्हें प्रेम करना;
ऐसा कहना कि
ज़िन्दा हूँ मैं !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा