भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम पियारे / केशव तिवारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तलवार से बचना सीख लिया है
तो नहन्नी* से मारे जाओगे

बारिश में तो बच लोगे
जब चाँदनी रात में गिरेगी चिर्री तब

घृणा - घृणा कहते हुए थोड़ा सुध में रहो

लपक के पिओगे प्रेम पियाला और
ऐंठ जाओगे

प्रेम पियारे…

शब्दार्थ

  • नहन्नी = नाखून काटने का यंत्र