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फुदकू जी अब कहाँ गए / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
यहाँ गए, फिर वहाँ गए
फुदकू जी अब कहाँ गए?
जहाँ-जहाँ जाते फुदकू जी
एक हंगामा होता है,
दुनिया उथल-पुथल हो जाए
ऐसा ड्रामा होता है।
वहाँ-वहाँ पर धूम मचाई
फुदकू जी जब, जहाँ गए।
चिड़ियाघर में भालू देखा
तो नाचे भालू बनकर,
हाथी एक नजर आया तो
उस पर जा बैठे तनकर।
बोर हुए तो झटपट कूदे,
फुदकू जी अब कहाँ गए?
कितनी ऊधमबाजी होगी
होगी कितनी मनमर्जी,
बोलो फुदकू, प्यारे फुदकू
मान नहीं लेते क्यों गलती?
थोड़ा तो अब धर पर बैठो-
सुनकर वे तमतमा गए।