भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फोड़े गए नसीब का इज़हार कीजिए / रमेश रंजक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फोड़े गए नसीब का इज़हार कीजिए ।
आवाज़ असरदार, वज़नदार कीजिए ।।

साबित करेंगे तुमको वो गद्दार कौम का ।
झूठे को और झूठ पे लाचार कीजिए ।।

लड़ते हुए से पूछिए लड़ने के तरीके —
दुश्मन के वार रोकिए और वार कीजिए ।।

दुहरी मदद से तोड़िए चट्टान राह की ।
बढ़ने के लिए रास्ता तैयार कीजिए ।।

काँपेंगे तेरी बात से उनके सिफ़ारिशी ।
आँखॊं को एक बार तो अँगार कीजिए ।।

होते ही वो इकहरे, अमाँ ! टूट जाएँगे ।
फिर बोलिए कि ज़ुल्म को स्वीकार कीजिए ।।