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बगैर सूचना / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
मैने धरती को ठगा
और आ गया धरती पर
ओस की बूँदे अभी-अभी टपकी थी धरती पर
अभी-अभी मादक हुई थी हवाएँ
स्वच्छ-निर्मल जल अभी था अछूता
अभी था आकाश विश्राम की अवस्था में
और मैं आ गया
यह कोई वक़्त नहीं था
मैंने कोई आदेश नहीं लिया
क्षमा करना मुझे
नहीं भेजा कोई प्रार्थना-पत्र
नहीं कटाया किसी प्रकार का टिकट कोई
और नहीं किया धरती को हमारी ज़रूरत या
गैरज़रूरत पर विचार किसी ने
बस, मैंने धरती को ठगा
और आ गया धरती पर
देवताओं को साथ लेकर !