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बछरा की लै पूँछ कर पकरि / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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बछरा की लै पूँछ कर पकरि भजावत ताहि।
पाछे-पाछे सखन-सँग ताके भाजत जाहिं॥
नित नूतन कीड़ा करत बालक श्रीब्रजचंद।
देत-लेत आनंद नित सच्चित-‌आनँद-कंद॥