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बनाता हूँ बेजान तस्वीरें / सरदार सोभा सिंह
Kavita Kosh से
बनाता हूँ बेजान तस्वीरें
यह तन आत्मा का मंदिर
सब कुछ इसके भीतर
सिख ,गुरु, देवता, भगवान
कवि ,लेखक, चित्रकार
अरे कोई रूह
कभी तो आए बाहर
मृत हुई तूलिका
मुर्दा रंग
शीत बुढ़ापा
जीने की उमंग
मैं बनाता हूँ चित्र
जिन्हें जीवित आत्माएँ
देती हैं प्राण
मेरी तमन्ना?
कोई न जाने.