भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बरवै रामायण / तुलसीदास/ पृष्ठ 15
Kavita Kosh से
( बरवै रामायण उत्तरकांण्ड/पृष्ठ-5)
( पद 66 से 69 तक)
तुलसी राम नाम जपु आलस छाँडु।
राम बिमुख कलि काल को भयो न भाँडु।66।
तुलसी राम नाम सम मित्र न आन।
जो पहुँचाव राम पुर तनु अवसान। 67।
राम भरोस नाम बल नाम सनेहु।
जनम जनम रघुनंदन तुलसी देहु।68।
जनम जनत जहँ जहँ तनु तुलसिहि देहु।
तहँ तहँ राम निबाहिब नाथ सनेहहु।69।
(इति बरवै रामायण )