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बादल (१९३१) / एल्वी सिनेर्वो / सईद शेख
Kavita Kosh से
बादल मेरे ऊपर मण्डरा रहे थे
जैसे कि सपने जो मैंने बचपन में देखे थे
जैसे कि वे दिन जो मैंने जीए थे ।
बादल मेरे ऊपर मण्डरा रहे थे,
हवा आई और उसने उन्हें बिखरा डाला ।
और मैंने उन्हें फिर नहीं देखा
मूल फ़िनिश भाषा से अनुवाद : सईद शेख