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बापड़ा दिन रात / ओम पुरोहित कागद

आई हो ला
राज री मदद
अपघट रै बाद
आज री दांईं
काळीबंगां में
लाध्यो हो ला
सूनो थेड़
अणबोल्यो टसकतो
भीतर खातै
पण कुण सुणतो
सुणतो ई कुण
भीतरली बात
बस लांघता रैया थेड़
बापड़ा दिन रात
काळ नै टरकांवता
पान्ना कुण पळटतो
पंचागं रा
दीमक री भूख
कीं दिन इं मिटी।