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बिटिया का झूला / दिनेश कुमार शुक्ल

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अम्बर-अम्बर धरती डोले
सागर डोले पानी
नीम की डाल हिंडोला डोले
झूले बिटिया रानी

निसिदिन समय समुन्दर गरजे
मात-पिता की चिन्ता
चिन्ता-अगिन बुझाती बिटिया
हँसती कल-कल पानी

झूले बिटिया रानी
झूल रही है बानी
‘यहु तत् बदइ गियानी’