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बिना कर्म सफलता नहीं / प्रेमलता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
बिना कर्म कोई सफलता नहीं है।
सतत साधना से विफलता नहीं है।
भवन हम बना लें नगर भी बसा लें,
मिलन भाव आपस विकलता नहीं है।
सदा राह मानक वयोवृद्ध सेवा,
कभी मन कुपथ पर फिसलता नहीं है।
निशा चाँदनी में नहाती भले हो,
उदासी भरा मन सरसता नहीं है।
जले वेदना रात कैसे बिताये,
वियोगी हृदय भी सँभलता नहीं है।