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बीमार नहीं है वह / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
बीमार नहीं है वह
कभी-कभी बीमार-सा पड़ जाता है
उनकी ख़ुशी के लिए
जो सचमुच बीमार रहते हैं।
किसी दिन मर भी सकता है वह
उनकी खुशी के लिए
जो मरे-मरे से रहते हैं।
कवियों का कोई ठिकाना नहीं
न जाने कितनी बार वे
अपनी कविताओं में जीते और मरते हैं।
उनके कभी न मरने के भी उदाहरण हैं
उनकी ख़ुशी के लिए
जो कभी नहीं मरते हैं।