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बुदबुदाते हुए / वत्सला पाण्डे
Kavita Kosh से
कविता
लिखी जा रही थी
देह पर
मैं बुदबुदा सकी
सिर्फ तुम्हें
कितनी ही देर तक
सोचती रही
तुम्हारे नाम लिखी
कविता के शब्द