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बूँद बनूँ झर जाऊँ / दिविक रमेश
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किससे सीखा प्यारी बूंदों
झरझर झर का गाना।
किससे सीखा प्यारी बूंदों
सब का मन हर्षाना।
अच्छा लगता होगा तुमको
बादल के घर रहना।
अच्छा लगता होगा तुमको
धरती पर आ जाना।
कभी-कभी मन करता मेरा
बूद बनूं झर जाऊं।
हर प्यासे को गले लगाकर
गीत मधुर सा गाऊं।