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बेघरों को घर दिलाना चाहते हैं / मृदुला झा
Kavita Kosh से
मुफलिसी उनकी मिटाना चाहते हैं।
जीतने की चाह है बेशक हमारी,
साथ सबके जीत पाना चाहते हैं।
झूठ के गुंचे बहुत हैं पास लेकिन,
सच का हम गुलशन खिलाना चाहते हैं।
दीन-ओ-ईमां के लिए आगे बढ़ें हम,
प्रेम की गंगा बहाना चाहते हैं।
दहशतों के दंश को जड़ से मिटाकर,
खुशनुमा हर पल बनाना चाहते हैं।
दुश्मनी को दिल से रुखसत कर ‘मृदुल’ अब,
हाथ हम सबसे मिलाना चाहते हैं।