भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भाग' नै / रामदेव भावुक
Kavita Kosh से
भागॅ नै भागॅ नै भागॅ नै
हो भैया भागॅ नै
बदलॅ नै बदलि देॅ दुनिया
हो भैया भागॅ नै
दुख तोरा घर मे संग सूतल
सुख भेलॅ सौतिनियां
हो भैया भागॅ नै
बेटी कुमारी भेलॅ घर के गरीबी
निनियां भए गेलॅ बैरिनियाँ
हो भैया भागॅ नै
आशा सुहागिन, खुशी तोर विधवा
चिता भए गेलॅ नटिनियाँ
हो भैया भागॅ नै
अन्हरा कहरिया के कंधा पिड़ायल
दरदो न जानै लोकनियां
हो भैया भागॅ नै