भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भाभी आई / जियाउर रहमान जाफरी
Kavita Kosh से
चंदा ने जब शादी रचाई
दुल्हन बनकर चांदनी आई
हुए बराती तारे सारे
आसमान के प्यारे-प्यारे
बादल ने किया ढोल बजाया
लिए रोशनी सूरज आया
बारातों में पहले आकर
चमकी बिजली खुशी मनाकर
गीत गई कोयल ने गाये
मोर ने अपने नाच दिखाए
बारिश बर्फ़ में ढल कर पहुंची
कपड़े नये बदलकर पहुंची
चांद को दी फिर सबने बधाई
चांदनी जैसी भाभी आई